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आचार्य राम शास्त्री जी द्वारा लिखित संस्कृत शिक्षण सरणी लेखक का अदभतु ग्रन्थ है। उनके अनुसार ग्रन्थ का प्रयोजन संस्कृत-भाषा का व्यावहारिक शिक्षण है। इस दृष्टि से इस ग्रन्थ में संस्कृत व्याकरण के प्रायः सभी उपयोगी विषयों को ध्यान में रखकर उदाहरण सहित लिखा गया है।
इसमें सन्देह नहीं कि इस ग्रन्थ के सम्यक् अभ्यास से संस्कृत-भाषा के व्यवहार में बहुत सुगमता होगी।
- पंडित युधिष्ठिर मीमांसक
संस्कृत अध्ययन-अध्यापन के लिए गुरुकुलम् एवं अग्निवीर द्वारा संचालित कक्षाओं में इस पुस्तक का प्रयोग होता है। प्रख्यात संस्कृतविद् एवं स्वाधीनता सेनानी श्री राम शास्त्री इसके रचयिता हैं। आचार्य जी भले ही चक्षुहीन थे तथापि उनकी प्रज्ञा एवं अभिव्यक्ति की शक्ति अनन्य थी। वे एक उत्तम आयुर्वेदाचार्य भी थे।
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This is the recommended book for learning Sanskrit and used in courses run by Gurkulam and Agniveer. This is written by noted Sanskrit scholar and freedom fighter Acharya Ram Shastri. Acharya ji was blind but had a gift of wisdom and articulation that is unparalleled. He was also an acclaimed Ayurvedacharya.
Sanskrit Shikshan Sarani in Sanskrit-Hindi