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Four Vedas in Hindi
Yajurveda
RigVeda
SamaVeda
AtharvaVeda

    A Complete Set of All Four Vedas in Sanskrit-Hindi and Transliteration (33 Books)

    ₹ 6,500.00 ₹ 8,300.00
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    DESCRIPTION

     वेदोऽखिलो धर्ममूलम् - अर्थात् वेद ही विश्व के अखिल धर्म का आदि मूल हैं! प्रत्येक हिन्दू ग्रंथ वेद को ही अपना आधार घोषित करता है।

    वेद केवल मात्र हिन्दू के लिए ही नहीं हैं अपितु वेद तो सम्पूर्ण मानवता के लिए ही ज्ञान का आदि स्रोत हैं। अतः मनुष्य मात्र के पास वेद होने ही चाहिए तथा प्रत्येक मनुष्य वेदों को अवश्य पढ़े।

    वेद कोई अंधविश्वासी अनुष्ठानों अथवा आदिम सोच या सामाजिक भेदभाव की पुस्तक नहीं है, जैसा कि कुछ अज्ञानी लोगों द्वारा अपने निहित स्वार्थ के वशीभूत हो प्रचारित किया गया है। इसके विपरीत वेद तो विज्ञान और तर्क के ग्रंथ हैं।

    वेद तर्क संगतता, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक एकता, योग्यता आधारित समाज और 'वसुधैव कुटुम्बकम्' का गुणगान करते हैं। 'वसुधैव कुटुम्बकम्' अर्थात् समूर्ण वसुधा ही मेरा कुटुम्ब है।

    इसके साथ ही, वेद मंत्रों का मन और आत्मा पर चिकित्सकीय प्रभाव भी पड़ता है। वेद मंत्र सुखी, सफल, समृद्ध और आनंद से परिपूर्ण जीवन जीने की संरचना का आधार हैं।

    चारों वेदों(ऋग्वेद,यजुर्वेद,सामवेद और अथर्ववेद) के भाष्य का यह संग्रह सरल हिंदी में लिखा गया है, जिससे कि विद्यार्थी, आमजन से लेकर विद्वान तक सभी लाभान्वित हो सकें।

    इस भाष्य में मूलमंत्र, मंत्र के देवता, ऋषि, छंद, स्वर और हिंदी अर्थ समाहित हैं. यह ऋषि दयानंद सरस्वती द्वारा किए गए वेद भाष्य पर आधारित हैं, केवल आधुनिक काल के अनुसार इसे सुगम बनाया गया है। यह संग्रह पढ़ने में सुविधाजनक रहे इसलिए अक्षर का टाइप मोटा रखा गया है।

    परमपिता परमात्मा के शाश्वत ज्ञान का पर दिव्य संग्रह - आपके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव ड़ालेगा।
    जितना अधिक समय आप इन मंत्रों के स्वाध्याय में लगाएंगे, उतना अधिक आपका जीवन आनंद और उच्चतम सोपान की ओर अग्रसर होता जाएगा।

    अपने प्रियजनों को उपहार में देने के लिए यह संग्रह सबसे श्रेष्ठ है।

    साथ ही, इस संग्रह की बिक्री से प्राप्त धनराशि का उपयोग धर्म प्रचार और पुण्य कार्यों में किया जाएगा।

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    TOTAL BOOKS

    • RigVed: 17 Books
    • YajurVed: 5 Books
    • SamVed: 4 Books
    • AtharvVed: 7 Books
    • TOTAL: 33 Books

    PRODUCT FEATURES

    • Publisher: RITVIJAM Publication 
    • Commentary: Harisharan Siddhantalankar
    • ISBN: 978-81-19037-83-4
    • Language: Sanskrit - Hindi
    • Book Dimensions: 6" x 9"
    • Cover: Softcover - Paperback
    • Pages: 10174
    • Average Number of pages per book: 308

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    V
    VIKRANT SINGH

    A Complete Set of All Four Vedas in Sanskrit-Hindi and Transliteration (33 Books)

    Dhanyavad for the 5 Star. Keep supporting!

    A
    Ashok Pandurang Upadhye
    ये तो बहुत लाभप्रद कार्य है।हम आपकी सरहानाकरते है।

    संपुर्ण उपषदनिषद भाष्य पर हिन्दी संग्रह है तो कृपया मार्गदर्शन करे.
    हम वेद और उपनिषद दोनो संग्रह लेनी चाहेंगे त्वरीत संपर्क करे.mob 9422203691

    C
    Chhavi Asthana
    Excellent

    All books are very neatly printed. Transliteration is easy to understand. Reading is very easy because of sandhi vikched of the sanskrit words. Very quick and speedy delivery of order. Extremely happy, greatful and satisfied

    Y
    Yogesh Bhatt

    A Complete Set of All Four Vedas in Sanskrit-Hindi and Transliteration (33 Books)

    K
    Krishna Venkateswaran

    A Complete Set of All Four Vedas in Sanskrit-Hindi and Transliteration (33 Books)

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