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भाग १: वैदिक तथा आर्ष पर्व
यह पुस्तक प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और परंपराओं के समृद्ध ताने-बाने में गहराई से उतरती है। इसमें शिक्षा प्रणाली, शासन, वर्णाश्रम धर्म, और वैदिक युग में महिलाओं के जीवन जैसे विषयों का अध्ययन किया गया है। यह वेदों और मनुस्मृति जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथों का भी विश्लेषण करती है। रामायण और महाभारत की ऐतिहासिक कथाओं की तुलना करते हुए, यह महाकाव्यों के सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक पहलुओं पर गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। आर्य सभ्यता का व्यापक अध्ययन करते हुए, यह कृति भारत की विरासत और उसके संस्कारों के विकास को समझने में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
भाग २: महाभारत काल से बुद्ध के पूर्व तक
यह व्यापक कृति भारतीय सभ्यता के विशाल विस्तार का अन्वेषण करती है, विशेष रूप से महाभारत युग पर केंद्रित होकर, जिसमें शासन, सामाजिक संरचनाओं और सैन्य विज्ञान में हुई प्रगति का विवरण है। यह प्राचीन भारतीय युद्ध कौशल, राजतंत्र की भूमिका, विधायी प्रणालियों और आर्थिक नीतियों पर गहराई से प्रकाश डालती है। पुस्तक में शुक्रमिति के राजनीतिक और सामाजिक ढांचों में योगदान के साथ-साथ भारत के चीन, मिस्र और अन्य देशों तक के प्रभाव का भी विश्लेषण किया गया है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टियों से भरपूर यह कृति भारत के विश्व से संबंधों और इसके दर्शन एवं प्रथाओं की स्थायी विरासत का सजीव चित्र प्रस्तुत करती है।
भाग ३: बौध्काल
यह पुस्तक बौद्ध युग के दौरान भारत में हुए सांस्कृतिक, राजनीतिक और धार्मिक परिवर्तनों की एक गहन यात्रा प्रदान करती है। यह चंद्रगुप्त जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों से संबंधित कालक्रमीय विवादों, बुद्ध और महावीर की क्रांतिकारी शिक्षाओं, और जैन तथा आजीविक जैसे संप्रदायों के दार्शनिक विकास का विश्लेषण करती है। यह ग्रंथ बौद्ध शासन, सामाजिक संरचनाओं और आर्थिक प्रथाओं का विस्तृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, साथ ही बुद्ध के शिष्यों के जीवन और उनके योगदानों पर भी प्रकाश डालता है। पूर्व-बौद्ध महाजनपदों, बौद्ध गणराज्यों और बदलते सामाजिक मानदंडों की गहन जांच के साथ, यह कृति प्राचीन भारत की गहन विरासत को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शिका है।
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